लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।

अथवा
क्या भारत में दो दलीय व्यवस्था सम्भव है?
अथवा
भारत में दलीय व्यवस्था पर प्रकाश डलिये।

उपरोक्त प्रश्न का उत्तर आगे दिये गये सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तरों के मिलाने से पूरा होता है।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. एलेन बॉल द्वारा राजनीतिक दलों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है?

उत्तर -

राजनीतिक दलों का वर्गीकरण

एलेन बॉल ने दलों की संख्या, उनकी संरचना तथा उनकी ताकत के सुनिश्चित आधार लेकर निम्नलिखित दल व्यवस्थाएँ बतायी हैं—

(i) अस्पष्ट द्विदलीय पद्धतियाँ (Indistinct Two Party Systems) - अस्पष्ट द्विदलीय पद्धतियों में दलीय विचारधाराओं पर कम बल दिया जाता है, अधिक्रमिक संरचना का अभाव और मतों को जीतने के कार्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। अमेरिका तथा आयरलैण्ड की दलीय पद्धतियों को अस्पष्ट द्विदलीय पद्धतियाँ कहा जा सकता है।

(ii) सुस्पष्ट द्विदलीय पद्धतियाँ (Distinct Two Party Systems) - सुस्पष्ट द्विदलीय पद्धतियों में दल अधिक केन्द्रीकृत होते हैं। इस पद्धति के अन्तर्गत चुनावी लड़ाई में विचारधारा की टक्कर राजनीति को कुछ अधिक सरस बना देती है। ब्रिटेन, पश्चिमी जर्मनी व आस्ट्रेलिया सुस्पष्ट द्विदलीय व्यवस्थाओं के उदाहरण कहे जा सकते हैं।

(iii) कार्यवाह बहुदलीय पद्धतियाँ (Working Multi-Party Systems) - कार्यवाह बहुदलीय पद्धतियाँ वे पद्धतियाँ हैं जो दो से अधिक दल वाली होते हुये भी स्पष्ट द्विदलीय पद्धतियों के समान आचरण करती हैं— खासतौर से सरकारों की स्थिरता के सम्बन्ध में स्वीडन तथा नार्वे में सोशल डेमोक्रेटिक पाटियाँ हैं जिनका विरोध उदारवादी, कृषक, अनुदारवादी, क्रिश्चियन पार्टियाँ जैसी कई केन्द्र से दायें की पार्टियाँ करती हैं पर बुनियादी स्थिति यह कहती है कि या तो सोशल डेमोक्रेटों की सरकार बनती है अथवा नार्वे की तरह केन्द्र से दायें की पार्टियों की स्थिर सम्मिलित सरकार बन जाती है।

(iv) अस्थिर बहुदलीय पद्धतियाँ ( Unstable Multi Party Systems) – अस्थिर बहुदलीय पद्धतियों में सरकार की स्थिरता का अभाव होता है। ऐसी पद्धतियों वाले राज्यों में सरकारें अधिकतर केन्द्र की पार्टियों के साथ साझेदारी से बनती हैं, जिनका विरोध दक्षिण और वाम की पार्टियाँ करती हैं। इस प्रकार की दल पद्धति का सर्वोत्तम उदाहरण इटली में मिला है। इटली की संसद में कम-से-कम आठ पार्टियों का प्रतिनिधित्व रहता है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से आज तक कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं आ सकी है। अस्थिर दलीय पद्धतियों वाले राज्यों में सरकारों का पतन जल्दी-जल्दी होता रहता है, लेकिन एक बार के पतन के बाद अधिकतर थोड़े समय में ही दूसरी सरकार बन जाती है।

(v) प्रभावी दल पद्धतियाँ (Dominant Party Systems) - प्रभावी दल पद्धतियाँ वे पद्धतियाँ हैं जिनके अन्तर्गत दल प्रतियोगिता चलने दी जाती है, लेकिन एक ऐसे दल का उदय होता है जो सब दलों पर छा जाता है। भारत प्रभावी दल पद्धति का अच्छा उदाहरण है। आजादी के बाद से लम्बे समय तक (1977-80, 1989-91 तथा 1996-97 की अवधि अपवाद है) राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही एकमात्र शासक दल रहा। बहुत-से दूसरे दल भी मौजूद हैं और उन्हें प्रभावी दल से खुली प्रतियोगिता की छूट दी गयी है। यहाँ तक कुछ एक प्रादेशिक दलों ने कई भारतीय राज्यों के शासन पर जब तब नियन्त्रण भी किया है।

(vi) एकदलीय पद्धतियाँ (One Party Systems) – एकदलीय पद्धतियों की सही परिभाषा करना दुष्कर है। इस श्रेणी में मिस्र से लेकर तंजानिया तक रखे जा सकते हैं। शेख मुजीब के समय में बंग्लादेश तथा वर्तमान में बर्मा भी एकदलीय पद्धतियों के प्रवर्ग में ही रखे जाते हैं। इन पद्धतियों में चुनावी प्रतियोगिता का पूर्णतया अभाव नहीं होता है। दल में ही गुट, चुनावी खींचतान करने की कुछ-कुछ छूट रखते हैं।

(vii) सर्वाधिकारी दलीय पद्धतियाँ (Totalitarian Party Systems) - सर्वाधिकारी दल पद्धतियों को एकदलीय पद्धतियों से कई बातों में भिन्न पाते हैं। इन पद्धतियों में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सक्रियता के सब पहलुओं पर दल का अत्यधिक नियन्त्रण रहता है। इनमें प्रभावी विचारधारा पर बल दिया जाता है। चीन व अन्य साम्यवादी देशों में सर्वाधिकारी एकदलीय प्रणालियाँ पायी जाती हैं।

दलीय पद्धति के प्रकार (Types of Party System) – दलीय व्यवस्था तीन प्रकार की होती है— एकदलीय, द्विदलीय और बहुदलीय। इसके गुण दोषों का वर्णन इस प्रकार है-

एकदलीय पद्धति
(One Party System)

विश्व में बहुत से ऐसे दल हैं जिसमें मात्र एक राजनीतिक देश है और दूसरे दल का अस्तित्व नहीं के बराबर रहता है, उदाहरणस्वरूप पूर्व सोवियत संघ, चीन, हंगरी, रूमानिया, चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया 'और फिनलैण्ड साम्यवादी देश हैं और वहाँ एक ही साम्यवादी दल है जो सत्ताधारी दल है, वहाँ विरोधी दल नहीं है, साम्यवादी देशों का कहना है कि विरोधी दल तो पूँजीवादी देशों में होते हैं, जहाँ परस्पर विरोधी हित होते हैं और उनको प्रकट करने के लिए विभिन्न दल होते हैं, परन्तु जहाँ पर पूँजीवाद को नष्ट कर दिया और वहाँ केवल मजदूर दल ही हो तो अन्य किसी दल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, वहाँ एक साम्यवादी दल ही काफी है जो मजदूरों के हित का संरक्षक है।

हिटलर के समय जर्मनी में और मुसोलिनी के समय इटली में केवल एक ही दल था। हिटलर की पार्टी का नाम नाजी पार्टी और मुसोलिनी की पार्टी का नाम फासिस्ट पार्टी था। हिटलर और मुसोलिनी ने विरोधी दलों को समाप्त कर दिया था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book